” insurrection “.
- dhairyatravelsraip
- 30 जुल॰ 2021
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मार्क्स और लेनिन के मुताबिक क्रांति का ऐक ही रास्ता है वो है , ” insurrection “. इसको कार्ल काउत्स्की ने बदला दिया , अपने घोषणा पत्र में , जिसे ” erfurt प्रोग्राम ” कहते है , यानी समाजवाद पार्लियामेंट्री रास्ते द्वारा । दोनों में ज़मीन आसमान का फर्क है । आज भारत का वामपंथ पार्लियामेंट्री रास्ते पर चल रहा है . इसलिए इसने कार्ल कौटसकी का ” सोशल डेमोक्रेसी ” चुन लिया है । अब क्रांति कि बात करना बेमानी है । लेनिन ने कौत्सकी को ” पाखंडी ” कहा था , जिसकी ऐक वजह यह थी । यहां क्रांति कि बेसिक परिभाषा कि बात हो रही है के क्रांति सामूहिक आर्म्ड स्ट्रगल कि द्वारा ही होगी । दूसरा कोई रास्ता revisionism ही। टाइम और स्थान कोई भी हो आखरी फैसला आर्म्ड स्ट्रगल है । लेनिन , माओ , हो ची मिन्ह , फिदेल कास्ट्रो ने यही रास्ता चुना । किसलिए ?

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