” मार्क्स की मिथयाहे “
- dhairyatravelsraip
- 27 जुल॰ 2021
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” राज्य ” ( स्टेट ) किसी प्रोडक्शन प्रोसेस का मोहताज नहीं । हिटलर ने पूंजीपतियों से कहा , ” में स्टेट हूं । पूंजीवाद को अगर ज़िंदा रहना है तो मेरे मुताबिक चलना होगा । में पूंजी को रेगुलेट करूंगा । मेरे मुताबिक चलो नहीं तो खत्म कर दिए जाओगे “. पूंजीपतियों ने घुटने टेक दिए । हिटलर ने सारा पैसा स्टील प्रोडक्शन पर लगा दिया . क्योंकि उसको हर तरह के डेडली हथियार चाहिए थे । इसी स्टील प्रोडक्शन से उसने डूबी हुई अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाया और एम्प्लॉयमेंट क्रिएट कि . लोगों को रोटी और रोज़गार मिलने लगा । लोगों ने कहा ‘ हर हिटलर “, यानी तू सब कुछ . हिटलर ने इतिहास से बदला लिया । “वर्सैलीस संधि ” के चीथड़े कर दिए । मार्क्स की थेओरी फैल कर दी। क्योंकि उसने साबित कर दिया के स्टेट इंडिपेंडेंट है, किसी व्यवस्था कि ग़ुलाम नहीं ।
ध्यान दें :
“यदि हिटलर ने परमाणु बम विस्फोट किया होता” ?
19 दिसंबर 1938 को, प्रकाशन से अठारह दिन पहले, ओटो हैन ने अपने सहयोगियों और मित्र लिसे मित्नर को एक पत्र में यूरेनियम नाभिक के फटने के इन परिणामों और उसके निष्कर्ष का वर्णन किया, जो जुलाई में जर्मनी से नीदरलैंड और फिर स्वीडन भाग गए थे। ।
: ड्यूश फिजिक (जर्मन भौतिकी)
सगाई: द्वितीय विश्व युद्ध: बर्लिन का पतन; ऑपरेशन पेपरक्लिप; ऑपरेशन अलोस; Op …
भूमिका: परमाणु और रेडियोलॉजिकल हथियार का विकास _समान्य जानकारी के लिए

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